थत्यूड़: इस साल मौसम की मार का बहुत बड़ा असर नगदी फसलों और सब्जियों पर पड़ा है। जहां पहले सब्जियां और टमाटर के दाम काश्तकारों को अच्छे मिल रहे थे, वहीं अब लगातार बारिश के चलते कीड़े लगने के कारण सब्जियां, विशेषकर टमाटर, खराब हो रही हैं। कम उत्पादन के कारण काश्तकारों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पहले अत्यधिक गर्मी और अब लगातार बारिश के बीच सब्जियों का उत्पादन घटने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। इससे आम आदमी की रसोई का बजट बुरी तरह प्रभावित हो गया है। टमाटर की कीमतें 60 से 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं, जबकि कोई भी सब्जी 60 रुपये से नीचे नहीं मिल रही है।
इस संकट के बीच सब्जियों के दामों में भारी उछाल देखा जा रहा है। सरकारी नियंत्रण की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है, जिससे आम आदमी की जेब पर हर स्तर पर बोझ पड़ रहा है। पिछले 15 से 20 दिनों से मैदानी क्षेत्र के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्र में भी सब्जियों के दाम हर व्यक्ति की जेब पर भारी पड़ रहे हैं।
कई लोगों ने टमाटर खाना बंद कर दिया है, जबकि टमाटर सभी सब्जियों के स्वाद को बढ़ाने के लिए डाला जाता है। टमाटर की उच्च कीमतों ने कई परिवारों को इसे अपने भोजन से हटाने पर मजबूर कर दिया है।
काश्तकारों की चिंता और सरकारी उपेक्षा
काश्तकारों के लिए यह समय बेहद कठिन है। मौसम की अनियमितता ने उनकी फसलों को बुरी तरह प्रभावित किया है। अत्यधिक गर्मी और बारिश के बीच उनकी फसलें नष्ट हो रही हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है। काश्तकारों की मांग है कि सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से ले और उचित कदम उठाए ताकि वे इस संकट से उबर सकें।
आम आदमी की रसोई पर असर
सब्जियों की कीमतों में उछाल ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। जो सब्जियां पहले सस्ती होती थीं, वे अब महंगी हो गई हैं। इससे मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों के लिए अपने परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है।
समाधान की तलाश
सरकार को चाहिए कि वह इस संकट को गंभीरता से ले और त्वरित कदम उठाए। काश्तकारों को राहत देने के साथ-साथ, सब्जियों की कीमतों पर नियंत्रण लगाने के लिए उचित उपाय करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, सरकार को मौसम की अनियमितताओं के कारण होने वाले नुकसान से बचाने के लिए काश्तकारों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान करनी चाहिए।
इस तरह की स्थिति में सभी को मिलकर समाधान ढूंढने की आवश्यकता है, ताकि काश्तकारों और आम आदमी दोनों की समस्याओं का समाधान हो सके। केवल सरकारी उपायों के साथ-साथ, समाज के सभी वर्गों को भी इस संकट से निपटने में सहयोग करना चाहिए।