- उत्तराखंड में दवाओं के निस्तारण की नई क्रांति, हरित स्वास्थ्य प्रणाली की ओर बड़ा कदम
- हर नागरिक बनेगा ‘स्वस्थ नागरिक, स्वच्छ उत्तराखंड’ मिशन का भागीदार
- जन-जागरूकता, थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग और जिला टास्क फोर्स से होगी सख्त निगरानी
देहरादून। उत्तराखंड सरकार राज्य की 25वीं वर्षगांठ पर पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य सुरक्षा को एक सूत्र में पिरोते हुए दवाओं के सुरक्षित और वैज्ञानिक निस्तारण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के नेतृत्व में राज्य सरकार ने CDSCO (Central Drugs Standard Control Organisation) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को लागू करने का निर्णय लिया है।
यह फैसला केवल प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि उत्तराखंड को ‘हरित स्वास्थ्य प्रणाली’ (Green Health System) का राष्ट्रीय मॉडल बनाने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।
🌿 हरित स्वास्थ्य सेवा की ओर परिवर्तनकारी पहल
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, FDA डॉ. आर. राजेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि अब एक्सपायर्ड, अप्रयुक्त और रीकॉल की गई दवाओं के लिए उत्तराखंड में एक सुनियोजित और वैज्ञानिक निस्तारण प्रणाली लागू की जाएगी। दवा निर्माण से लेकर उनके उपयोग और निस्तारण तक की हर प्रक्रिया को अब एक संरचित ढांचे में लाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह कदम उत्तराखंड जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील राज्य के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां नदियां, जंगल और जल स्रोतों की शुद्धता बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
🏥 ‘ड्रग टेक-बैक साइट्स’ से आम जनता भी बनेगी सहभागी
उत्तराखंड के शहरों से लेकर दूरदराज के पर्वतीय क्षेत्रों तक चरणबद्ध रूप से “ड्रग टेक-बैक साइट्स” की स्थापना की जाएगी। यहां लोग अपने घरों में पड़ी खराब, एक्सपायर्ड या बिना उपयोग की दवाएं जमा करा सकेंगे। इन दवाओं को वैज्ञानिक तकनीकों जैसे इनसिनरेशन (दहन) और एन्कैप्सुलेशन के जरिए नष्ट किया जाएगा।
CDSCO की गाइडलाइन WHO मानकों और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के अनुरूप तैयार की गई है। इसमें कलर-कोडेड बायोमेडिकल वेस्ट बैग्स, लॉग बुक सिस्टम और ट्रैकिंग जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं जो इस प्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बनाएंगी।
🔍 हर स्तर पर तय होगी जवाबदेही, चलेगा जागरूकता अभियान
अपर आयुक्त एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने स्पष्ट किया कि दवाओं के अनियंत्रित निस्तारण से जल स्रोतों के प्रदूषण, मानव व पशु स्वास्थ्य पर खतरा और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस दिशा में अब राज्य औषधि विभाग थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग सिस्टम, ई-ड्रग लॉग सिस्टम, और जिला टास्क फोर्स के ज़रिए हर चरण की सघन निगरानी करेगा।
ड्रगिस्ट्स एंड केमिस्ट्स एसोसिएशन, अस्पताल, फार्मा कंपनियां, और जनता — सभी को इस व्यवस्था का सक्रिय भागीदार बनाया जाएगा।